अनपरा ए और बी कार्यों में कोयले का एक दिन भी नहीं बचा है। रेलवे रैक से कोयला आने के कारण अनपरा डी में दो दिन का कोयला बचा है।
अनपरा मिशन में कोयला संकट अपने चरम पर पहुंच गया है. अनपरा ए और बी मिशन में जहां कोयले का भविष्य भी नहीं बचा है, वहीं डी मिशन में भी दो दिन का ही कोयला बचा है. रेलवे रेक से कोयले के आने से डी मिशन को कुछ राहत मिली है।
कोयला खदान के मुहाने पर स्थित अनपरा मिशन में कोयला संकट समुंदर के किनारे रहकर प्यासे रहने की कहावत पूरी कर रहा है. स्थिति यह है कि जहां 630 मेगावाट का अनपरा ए स्टॉक घटकर 9603.58 एमटी (एमटी) हो गया है। वहीं, 1000 मेगावॉट बी मिशन में कोयले का स्टॉक घटकर 14022.18 मीट्रिक टन हो गया है। इतना कोयला दोनों कार्यों के एक दिन के संचालन के लिए भी पर्याप्त नहीं है।
अनपरा डी मिशन में 35047.82 मीट्रिक टन कोयले की सूची है। इसके साथ ही कंपनी के नवीनतम मिशन से दो दिन के लिए बिजली की आपूर्ति की जाएगी। वैकल्पिक रूप से, राज्य सरकार द्वारा त्योहारी सीजन में शाम को किसी भी स्थिति को कम नहीं करने के आदेश के कारण, शाम 6 बजे से रात 11 बजे तक पीक आवर्स में सामान फुल लोड पर काम करने से प्रशासन की मुश्किलें बढ़ गई हैं. मिशन के भीतर कुल कोयला भंडार गुरुवार सुबह 58673.58 मीट्रिक टन था।
राजमार्ग से कोयला परिवहन की संभावना तलाशने के निर्देश
बिजली स्टेशनों में चल रहे कोयला संकट को देखते हुए रेलवे पर दबाव है कि वह सभी बिजली स्टेशनों को रैक से कोयला उपलब्ध कराए। इसके परिणामस्वरूप बिजली घरों को कोयले की आपूर्ति का पता लगाने के लिए उपसमूह की बैठक में सड़क मार्ग से कोयला परिवहन की संभावना 30 किमी के दायरे में स्थित क्षमता कार्यों की खोज करने के निर्देश दिए गए हैं। कोयला खानों। मिशन प्रशासन इस रास्ते पर प्रस्ताव बनाने की तैयारी कर रहा है।
परीछा प्लांट को मिला आठ हजार टन कोयला, चौथी यूनिट चालू नहीं हो सकी
परीछा थर्मल एनर्जी प्लांट को गुरुवार को दो और मालगाड़ी (आठ हजार टन) कोयला मिला। इसके परिणामस्वरूप बिगड़ती स्थिति का समाधान हो गया है। कोयले की अनुपलब्धता के परिणामस्वरूप एक इकाई बंद हो सकती है। फिलहाल प्लांट के चार में से तीन यूनिट से उत्पादन किया जा रहा है। साथ ही ललितपुर स्थित बजाज एनर्जी प्लांट में तीन में से दो वस्तुओं से उत्पादन हो रहा है। तकनीकी खराबी के चलते यहां की एक इकाई मंगलवार से बंद है। वर्तमान में दोनों वनस्पतियों में 2030 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जा रहा है।
हरदुआगंज में 9000 टन प्रतिदिन की मांग, 3800 टन कोयला ही मिल पाता है
हरदुआगंज थर्मल मिशन कासिमपुर में कोयले ने भी चिंता की गर्मी बढ़ा दी है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भविष्य में कोयले का भंडार यहीं रहता है। यदि तैयार माल दूसरे दिन कोयले के साथ नहीं आता है तो क्षमता गृह का सामान बंद कर देना चाहिए। इतना ही नहीं, वर्तमान में यहां प्रत्येक कार्यशील 250 मेगावाट की दो इकाइयों से ही पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं हो पा रहा है, क्योंकि इन वस्तुओं के लिए प्रतिदिन 9000 टन कोयले की आवश्यकता होती है और आपूर्ति केवल 3800 टन ही हो रही है।