जहां पूरा देश दशहरे के दिन रावण को जलाकर खुशियां मनाता है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो रावण के सौ साल पुराने मंदिर में विशेष पूजा करते हैं। यह पूजा केवल दशहरे के दिन ही की जाती है। दशानन कानपुर के शिवाला में शक्ति प्रहरी के रूप में विराजमान हैं। जहां पूरा देश दशहरे के दिन रावण को जलाकर खुशियां मनाता है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो रावण के सौ साल पुराने मंदिर में विशेष पूजा करते हैं। यह पूजा केवल दशहरे के दिन ही की जाती है। दशानन कानपुर के शिवाला में शक्ति प्रहरी के रूप में विराजमान हैं। विजयादशमी के दिन सुबह मंदिर में मूर्ति की पूजा कर पट खुल जाते हैं। रात में आरती की जाती है। ये दरवाजे साल में एक बार दशहरे के दिन ही खोले जाते हैं। मां भक्त मंडल के संयोजक केके तिवारी का कहना है कि मंदिर का निर्माण वर्ष 1868 में महाराज गुरु प्रसाद शुक्ल ने करवाया था। वह भगवान शिव के आदर्श भक्त थे।